दशहरा विजयदशमी दुर्गा पूजा व नवरात्रि का पर्व

दशहरा विजयदशमी


भारत एक बहुमुखी संस्कृति का देश है यहां हर राज्यों में अनेकों त्योहार मनाए जाते हैं मगर दशहरा हिंदू का मुख्य त्यौहार है और मनाए भी क्यों ना इसमें हमारी आस्था भी जुड़ी हुई है और यही आस्था पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ने का कार्य करती है

पहले हमारे पूर्वज इसे मानते थे और अब विरासत में मिले इस संस्कृति को आगे बढ़ाने का काम हम करेंगे तो चलिए शुरू करते हैं


दशहरा का आयोजन हिंदी के कुमार मार्च के दूसरे पक्ष यानी शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को किया जाता है बताया जाता है कि इसी तिथि को भगवान श्री राम ने लंका पति रावण का वध किया था तथा मां दुर्गा के नवरात्रि के बाद दसवें दिन के युद्ध में महिषासुर का वध कर विजय प्राप्त किया था


इस पावन त्यौहार को असत्य पर सत्य की विजय के रूप में मनाया जाता है इसीलिए श्री राम के दसवें दिन रावण को मरना तथा मां दुर्गा का दसवें दिन महिषासुर का वध किया इसलिए इसी विजयदशमी का नाम से जाना जाता है


प्रथम दिन से लेकर दसवें दिन तक पूरे भारत में जो दिव्य वातावरण होता है मानो पूरा संसार स्थिति का इंतजार लंबे अरसे से कर रहा हो



इस दिन भारत के हर एक छोटे बड़े गांव शहर में नीलू का आयोजन होता है रावण का विशाल पुतला बनाकर दसवें दिन की रात अपने एक निश्चित समय पर उस पुतले को राम के हाथों जलाया जाता है जलाने के बाद जय श्रीराम का जय घोष होता है भारत के कुछ प्रमुख क्षेत्र में दशहरा का विभिन्न रूप में मनाते हैं

पश्चिम बंगाल उड़ीसा और असम यह पर्व तीनों राज्यों में दुर्गा पूजा के रुप में मनाते हैं सही मायने में यही के लोगों का सबसे प्रमुख त्योहार है यहां का दशहरा विश्व प्रसिद्ध है क्योंकि यहां के बड़े-बड़े पंडालों में मां दुर्गा की बड़ी-बड़ी मूर्तियां विराजी जाती है

 अब बात करते हैं उत्तर प्रदेश और बिहार की उत्तर प्रदेश और बिहार में भी दुर्गा पूजा का आयोजन बहुत ही अच्छे तरीके से किया जाता है यहां पर गांव और शहरों में पंडाल लगाकर मूर्ति स्थापित की जाती है


वहीं पर गांव और शहर छोटे से लेकर बड़े सभी जगहों पर पंडाल लगाए जाते हैं और इन पंडालों में मूर्तियों को स्थापित किया जाता है और इन मूर्तियों को बनाने के लिए महीनों से पहले से मूर्तिकार मूर्तियों को बनाते हैं और उसके बाद से पंडालों में स्थापित किया जाता है जहां पर मां दुर्गा की मूर्ति होती है कार्तिकेय भगवान की मूर्ति होती है सरस्वती जी की मूर्ति होती है गणेश जी की मूर्ति होती है भोलेनाथ की मूर्ति होती है 


तथा सभी देवताओं की विभिन्न विभिन्न प्रकार की जगहों पर विभिन्न प्रकार की मूर्तियों का बनाकर स्थापित किया जाता है बहुत सारी ऐसी जगह है जहां पर कंप्यूटराइज मूर्तियों का भी आयोजन किया जाता है जिसमें की दुर्गा जी महिषासुर का वध करते हुए दिखाएं जाता है जो कि पूरी तरीके से रोटी होते हैं तो आपको हमारी यह पोस्ट कैसी लगी जरूर बताइएगा बाकी हमारी नेक्स्ट पोस्ट जरूर देखें आप लोग पढ़े

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